समाजवाद,
आदर्शलोक हो सकता है,
असाध्य नही।
प्राथर्ना,
वैयक्तिक हो सकती है,
सामाजिक नही।
भूख,
तीव्र हो सकती है,
अशिक्षित नही,
और हम,
ब्रह्म हो सकते है,
मिथ्या नही।
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