Saturday, 18 February 2017

दिलकशी।

हमसे मत पूछना कि मोहब्बत कैसे की जाती है,
मना कर-कर के हम इसी दरियाँ में डूब गए।
पहले लगता था दरियाँ का एक बूँद पानी हमे नही छुयेगा,
पर आज उसी पानी में,नाव बनाकर,किसी के साथ,
इस ढलते हुए सूरज को बड़ी शिद्दत से देखते है,
किसने सोचा था ऐसा होगा,
लेकिन खुशकिस्मती है कि हुआ,
पहले रहते थे अपने में ,
अब साथ लेकर किसी का ख़ुद के साथ रहते है,यही जादू है इस रंग का,दाग तो लगता है,पर फिर तन्हाई घर नही करती,घर करता है इश्क़ जिसे एक बार कर के देखो,
ना ही किसी इष्ठ को याद करना है,
ना नमाज़ अदा करने की ज़रूरत।

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