खफा-खफा से है वो हमसे,
अब तो कुछ बात ही नही करते
वक़्त हो गया एक जवाब देने का,
लेकिन दूर कही वो सन्नाटे में है।
और हम,अपनी फ़र्ज़ अदायी में,
फ़र्ज़ है निग़ाह नही मिलनी चाहिए,
नही तो नापाक करार दिए जायेंगे,
लेकिन कभी कोई इरादा भी नही था,
कि इस अदब के बाहर जाए,
पर इश्क़ ख़ता नही,
और मैं उस ख़ता का मुजरिम नही,
हमने तो सफ़र अकेले शुरू किया,
और अकेले ख़त्म कर देंगे,
पर चुभने की बात ये है कि,
खफा-खफा से है वो हमसे,
अब तो कुछ बात ही नही करते।
-साँझ।
अब तो कुछ बात ही नही करते
वक़्त हो गया एक जवाब देने का,
लेकिन दूर कही वो सन्नाटे में है।
और हम,अपनी फ़र्ज़ अदायी में,
फ़र्ज़ है निग़ाह नही मिलनी चाहिए,
नही तो नापाक करार दिए जायेंगे,
लेकिन कभी कोई इरादा भी नही था,
कि इस अदब के बाहर जाए,
पर इश्क़ ख़ता नही,
और मैं उस ख़ता का मुजरिम नही,
हमने तो सफ़र अकेले शुरू किया,
और अकेले ख़त्म कर देंगे,
पर चुभने की बात ये है कि,
खफा-खफा से है वो हमसे,
अब तो कुछ बात ही नही करते।
-साँझ।