Thursday 15 March 2018

तांगेवाला।

तांगेवाले को देखा था बचपन में,
जब बाड़े की सड़कों से,
तांगा दौड़ाते हुए,
टाउन हॉल के बगल से निकालता था वो।
आज टाउन हॉल है,
तांगा भी है,
और तांगेवाला भी है,
बस कुछ नही,तो वो तब की सवारी,
जिसे तुगड़क-तुगड़क की आवाज़ सूनने का शौक़ रहता था,
अब कोई नही है उस ज़माने का,
जो है,
वो भी तांगेवाले की तरह एक दिन ओझल हो जाएंगे।

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