भारतीय न्यायपालिका, भारत का एक राजनीतिक
दल, और एक विचारधारा, इन सभी के बीच
लगातार आठ सालो से पीस रही एक औरत।
जिसका नाम है साध्वी प्रज्ञा सिंह, तन पर
भगवा रंग का झोंगा और 2008 के समय का
वो तेज जिसको महाराष्ट्र एंटी टेररिस्ट स्क्वाड
ने नेस्तनाबूत कर दिया। कांग्रेस की सरकार
ने सिर्फ इसलिए उस औरत को सलाखों के
पीछे डाला क्योंकि वो एक साध्वी थी और
भगवे रंग की विचारधारा की समर्थक थी।
पुरे आठ सालो में कोई ठोस सबूत की पुष्टि
नही हो पायी। पर पुलिस द्वारा साध्वी को इतना
प्रताड़ित किया गया की आज उनके कमर के
निचे का पूरा हिस्सा लकवे से ग्रस्त है। आप
खुद सोचिये क्या बीती होगी उस पर जब प्रताड़ना
की तलवार उनपर चली। और सिर्फ एक कारण
जिसकी वजह से ये सब हुआ, “भगवा आतंकवाद"। जबकि आतंकवाद का कोई रंग
नही होता लेकिन कांग्रेस ने इसे सिद्ध करने का
इतना प्रयास किया जिसका परिणाम आज साध्वी
प्रज्ञा की ये ये हालात है। मुझे शर्म आती है
न्यायपालिका पर , कांग्रेस पर, और उन दैत्यों पर
जो जनता की सेवा के लिए नियुक्त किये गए है।
इस बार की सरकार से मुझे उम्मीद है, शायद साध्वी
को न्याय मिले।