उसे मेरे उर्दू के शब्द बहुत पसंद है,
पर मुझे वो सीधे तरह से
बात करने की सलाह देती है,
कल मैंने भी कह दिया,
नही बदल सकता अपना लहज़ा,
और वो भी बड़े मासूमियत से मान गयी।
वो रात का पहला पहर,
जब कोई दूर-दूर तक नही था,
सिवाय इस सर्दी की धुंध के,
पर सुकून की बात थी,कि तुम थी,
लेकिन कमबख्त क़िस्मत लंबी नही चली,
और सुबह मेरे सपने का तिलिस्म टूट गया।
पर मुझे वो सीधे तरह से
बात करने की सलाह देती है,
कल मैंने भी कह दिया,
नही बदल सकता अपना लहज़ा,
और वो भी बड़े मासूमियत से मान गयी।
वो रात का पहला पहर,
जब कोई दूर-दूर तक नही था,
सिवाय इस सर्दी की धुंध के,
पर सुकून की बात थी,कि तुम थी,
लेकिन कमबख्त क़िस्मत लंबी नही चली,
और सुबह मेरे सपने का तिलिस्म टूट गया।
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