Wednesday 2 August 2017

मिल्कियत।

मैं नही जानता मेरा गुनाह क्या है,
लेकिन उसे देखकर सुकूँ की कमी पूरी हो जाती है,
बात करना मुश्किल हो रहा है,
लेकिन दिल की ज़ुबाँ से हमारी बात हो जाती है,
नज़रे अटक भी जाये तो अजनबी बनना पड़ता है,
मोहब्बत में इस क़दर काफ़िर बनना पड़ता है,
मेरी मिल्कियत क्या थी,ये भी उसने बता दिया,
एक कलम,एक जिगर,और कुछ इश्क़ मुझे बता दिया,
अक्सर मेरा मन नही लगता अब लोगो के जमघटो में,
इसी बुनियाद पे लोगों ने हमे पागल बता दिया,
और पँछी क़ैद में रहे ये मुझे गवाँरा नही होगा,
चल उड़ते है,कही दूर,जहाँ सिर्फ़ तेरा और मेरा किनारा होगा।

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