फ़र्ज़ है मेरा,
इज़हार करने का,
दिल और दिमाग की कशीदाकारी को दिखाने का,
वो बातें बताने का,
जिनकी वजह से आज इज़हार की नौबत आ गयी,
इज़हार करने के बाद,
पानी का घूँट हलक से उतर तो जायेगा,
मगर,ये दिन कैसे बीतें,कि वो सामने बैठी थी,
और सूरत देखकर हाल-ए-वक़्त में उन्होंने बेवा कर दिया,
फिर,जवाब आने को होगा,
कुछ साँसे ऊपर चढ़ेंगी,
कुछ फिर हलक पर कब्ज़ा करेंगी,
बैठा है दिल के दरवाज़े पर संतरी,
आइये,इंतज़ार है।
इज़हार करने का,
दिल और दिमाग की कशीदाकारी को दिखाने का,
वो बातें बताने का,
जिनकी वजह से आज इज़हार की नौबत आ गयी,
इज़हार करने के बाद,
पानी का घूँट हलक से उतर तो जायेगा,
मगर,ये दिन कैसे बीतें,कि वो सामने बैठी थी,
और सूरत देखकर हाल-ए-वक़्त में उन्होंने बेवा कर दिया,
फिर,जवाब आने को होगा,
कुछ साँसे ऊपर चढ़ेंगी,
कुछ फिर हलक पर कब्ज़ा करेंगी,
बैठा है दिल के दरवाज़े पर संतरी,
आइये,इंतज़ार है।
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