Tuesday 13 November 2018

तुम मुझे ले जाना अपने घर।

तुम मुझे ले जाना अपने घर,
ताकि तुम्हारे घर के कोनो में रखीं
एक-एक चीज़ को मैं बा-इज़्ज़त याद कर सकूँ,
ताकि तुम्हें हमारा घर 'अपने' घर के मुक़ाबले
ज़रा भी पराया ना लगे,
ताकि तुम्हारे मन में वो नई जगह जाने के बाद आने वाली कसक महसूस ना हो,
जिससे अक़्सर परेशां रहते है कुछ लोग,
सवाल रहा वालिद-वालिदा का,
तो उनके जैसे हमशक्ल तो नही ला सकता मैं,
मग़र थोड़ा बहुत सीख सकता हूँ,
तुम्हें संभालना,
चंद दिनों में,
बस तुम मुझे ले जाना अपने घर,
जिससे मैं उस घर के कोनों में रखीं हरेक चीज़ को बा-इज़्ज़त याद कर सकूँ।

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