तुम ही हो जो हो,
ना भाग्य है ना ईश्वर,
भाग्य है भी तो तुम ही हो सकते हो,
और हो सकते हो तुम ही ईश्वर,
तुम नश्वर भी हो,
और उस नश्वर से ईश्वर तक का मार्ग भी हो,
तुम असामयिक और सामयिक दोनो हो,
उस विवेकज्ञान के मार्गी भी हो,
दुक्ख और सुक्ख के भोगी भी तुम ही हो,
निरोधी भी तुम हो, प्रार्थी भी तुम हो,
तुम ही अनंत हो,
तुम ही आनंद हो।