कभी इस ज़मी पर उतरा था मैं,
अंजाना,उन सारी चीज़ों का,
जिनका अंदाजा नही लगाते हम,
लेकिन महसूस करने पर उन लोगो का दर्द,
और वो गुज़र-बसर करने की फिक्र
साफ़ तौर पर दिखाई देती है।
उन नन्ही सी जानो में,
जो आगे चलकर हमारे इस वतन में ,
एक ख़ास किरदार निभा सकते है,
पर इस किरदार की मुस्कान तो कही नही दिखती,
क्योंकि इन्हें वो मुस्कान भी नही मिल रही,
जिसके सब हम शुरुआत से हक़दार थे।
इसलिए वो मुस्कान जो किरदार की है,
हमे उन मासूमो के मुर्झाए हुए चेहरे पर देखनी है,
ताकि उनको लगे की वो जितने ख़ास है,उतना कोई नही,
ताकि उनको जो पीड़ा हुई वो किसी और को ना हो,
बस अब इस आस्मां में वो टूटे हुए तारे देखने है,
जिससे उस मुस्कान को क़ैद कर के,
उन बच्चो के हाथ में थामकर ,
कुछ तसल्लीे भरे चेहरों से ही,
हम अपनी ज़िन्दगी का मकसद कायम कर ले।
अंजाना,उन सारी चीज़ों का,
जिनका अंदाजा नही लगाते हम,
लेकिन महसूस करने पर उन लोगो का दर्द,
और वो गुज़र-बसर करने की फिक्र
साफ़ तौर पर दिखाई देती है।
जो आगे चलकर हमारे इस वतन में ,
एक ख़ास किरदार निभा सकते है,
पर इस किरदार की मुस्कान तो कही नही दिखती,
क्योंकि इन्हें वो मुस्कान भी नही मिल रही,
जिसके सब हम शुरुआत से हक़दार थे।
हमे उन मासूमो के मुर्झाए हुए चेहरे पर देखनी है,
ताकि उनको लगे की वो जितने ख़ास है,उतना कोई नही,
ताकि उनको जो पीड़ा हुई वो किसी और को ना हो,
बस अब इस आस्मां में वो टूटे हुए तारे देखने है,
जिससे उस मुस्कान को क़ैद कर के,
उन बच्चो के हाथ में थामकर ,
कुछ तसल्लीे भरे चेहरों से ही,
हम अपनी ज़िन्दगी का मकसद कायम कर ले।